Makar Sankranti: मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, देव डोलियों ने भी किया स्नान

मकर संक्रांति पर्व पर गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने और दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसलिए देश भर के कई राज्यों से श्रद्धालु हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए पहुंच रहे हैं।

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मकर संक्रांति स्नान पर्व पर अर्ध रात्रि से ही स्नान करने लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। कड़ाके की ठंड पर आस्था भारी पड़ी और हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। Makar Sankranti Bath वहीं मकर संक्रांति पर्व पर गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने और दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसलिए देश भर के कई राज्यों से श्रद्धालु हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मान्यता है कि इस मौके पर गंगा स्नान कर दान आदि करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सारे पाप मिट जाते हैं। इस ग्रह योग को सर्वोत्तम माना जाता है, यदि व्यक्ति के सभी ग्रह योग खराब चल रहे हो तो ऐसे में गंगा स्नान कर तिल,खिचड़ी, गुड़ आदि का दान करना चाहिए।

वही, उत्तरकाशी में मकर संक्रांति पर भागीरथी नदी के घाटों पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। दर्जनों देव डोलियों की मौजूदगी में ढोल-नगाड़ों की आवाज और मां गंगा के जयकारों से पूरी काशी नगरी गुंजायमान हो रही है। उत्तरकाशी के पौराणिक मणिकर्णिका घाट, केदार घाट, लक्षेश्वर, शंकर मठ, नाकुरी, देवीधार, गंगोरी अस्सी गंगा तट सहित आदि स्नान घाटों पर तड़के चार बजे ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी। स्नान पर्व पर बाडाहाट क्षेत्र के आराध्य कंडार देवता, बाडागड्डी क्षेत्र के आराध्य हरिमहाराज, खंडद्धारी माता, कैलापीर, नाग देवता, घंडियाल देवता, बाल कंडार, नागणी देवी, रनाड़ी के कचडू देवता, डुंडा की रिंगाली देवी, सहित धनारी क्षेत्र नागराजा, त्रिपुरा माता, चंदणनाग, राजराजेश्वारी आदि दर्जनों देवी-देवताओं की डोलियां, ढोल, निशान आदि के साथ हजारों श्रद्धालु उत्तरकाशी पहुंचे और गंगा में आस्था की डुबकी लगाई।