उत्तराखंड सरकार बीते कई वर्षों से केंद्र की मेहरबानी से फल फूल रही है। उत्तराखंड सरकार पर कर्ज का बड़ा बोझ निरंतर बढ़ता जा रहा है जो कि राज्य के लिए काफी चिंताजनक हो सकता है। अगले तीन साल में उत्तराखंड को देश का अग्रणीय राज्य बनाने के लिए पुष्कर सिंह धामी सरकार ने बिगुल बजा दिया है। हालांकि सरकार को उसे पूरा करने के लिए हर साल की तरह केंद्रीय इमदाद और कर्ज पर निर्भर रहना होगा। साल दर साल राज्य के बजट का आकार बढ़कर 77407.08 करोड़ तक पहुंच गया है। इसके साथ राज्य पर कर्ज का बोझ भी बढ़ रहा है।
भले ही इस बजट सत्र में सरकार ने कई तरह के प्रावधान किए हैं। मगर इन सबके बाद भी आपको जानकर हैरानी होगी कि 31 मार्च 2023 तक राज्य सरकार का जितना बजट पेश हुआ है, लगभग उतना ही कर्ज उत्तराखंड पर चढ़ चुका है। 31 मार्च 2023 तक राज्य पर कर्ज 68844 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है। राज्य सरकार ने सशक्त उत्तराखंड का संकल्प लिया है। इस संकल्प के लिए जो उसने लक्ष्य तय किए हैं, उनकी बजट में झलक दिखाई भी दी है।
लेकिन उद्योगपतियों, व्यापारियों से लेकर समाज के अंतिम पंक्ति पर खड़े व्यक्तियों, किसान, युवा, महिलाओं के विकास से जुड़ी प्राथमिकताओं को पूरा करने लिए सरकार को एक बड़ी पूंजी की आवश्यकता है। बजट में से ही राज्य सरकार को पेंशन और तनख्वाह देने के लिए 26 हजार करोड़ रुपए खर्च करने हैं, जिसमें से 18 हजार करोड़ रुपए से अधिक की तो तनख्वाह ही बांटनी है। वहीं 7 हजार 601 करोड़ रुपए की पेंशन देनी है। इस बात से आप समझ सकते हैं कि जब इतना बड़ा हिस्सा तनख्वाह और पेंशन में जाएगा तो राज्य के विकास में कितना पैसा सरकार खर्च कर पाएगी।
इन सबके बाद अच्छी बात यह भी है कि बीते वित्तीय वर्ष (2022-23) में राज्य सरकार ने 1700 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाया भी है। उत्तराखंड सरकार के सामने एक चुनौती अपने कर्मचारियों पेंशनरों और वेतन भत्तों भोगी लोगों को उनकी रकम मुहैया करवाना भी है। साल में अकेले वेतन पर ही 18 हजार करोड़ और पेंशन पर 7,601 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यानी सरकार को 26 हजार करोड़ से अधिक राशि इन मदों के लिए जुटानी होगी। सरकार की आमदनी में से 11,525 करोड़ रुपये पुराने कर्ज की किस्त लौटाने और 6,166 करोड़ वर्षों से लगातार लिए जा रहे कर्ज का ब्याज चुकाने पर खर्च करने होंगे।