रुद्रप्रयाग की कंचन डिमरी ने UPSC परीक्षा में पाई सफलता, कई असफलताओं के बाद मिली कामयाबी

कंचन बहुत ही सामान्य परिवार में पली बढ़ी हैं। गाँव की बेटी का आईएएस की परीक्षा पास कर लौटना किसी वर्ल्ड कप जीतने जैसा ही है। कंचन ने स्वयं के संसाधनों से इस सफलता को हासिल किया है।

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रुद्रप्रयाग जिले के जखोली ब्लॉक के भरदार की बेटी कंचन डिमरी का आईएएस में इसी साल चयन हुआ है। उनकी कामयाबी पर न केवल स्वीली गांव बल्कि रुद्रप्रयाग जनपद सहित प्रदेश में खुशी की लहर छा गई थी। Kanchan Dimri Story Rudraprayag आज हम आपको आईएएस कंचन के बारे में बताने जा रहे हैं दरअसल कंचन बहुत ही सामान्य परिवार में पली बढ़ी हैं। गाँव की बेटी का आईएएस की परीक्षा पास कर लौटना किसी वर्ल्ड कप जीतने जैसा ही है। कंचन ने स्वयं के संसाधनों से इस सफलता को हासिल किया है। आप इंटरव्यू में देख सकते हैं कि आईएएस बनना कितना मुश्किल काम होता है, और उसके लिए कितनी मेहनत लगती है। रुद्रप्रयाग जनपद मुख्यालय के निकटवर्ती पश्चिमी भरदार पट्टी के स्वीली गाँव के देवी प्रसाद डिमरी की पुत्री कंचन डिमरी का संघ लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठित परीक्षा में 654वीं रैंक हासिल की। 25 वर्षीय कंचन का जन्म भरदार पट्टी के सुदूर बीहड़ स्वीली गाँव में हुआ है।

कंचन के दादाजी घनानंद डिमरी (अब स्वर्गीय) भारतीय सेना से रिटायर थे। शुरुआत में अपने भाई के साथ कंचन गाँव की पाठशाला में ‘अ आ’ सीखने के बाद अपने मां-पिताजी के साथ दिल्ली चली गई। पढ़ने में होशियार कंचन ने केंद्रीय विद्यालय से 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण की और दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से बीए अंग्रेजी (ऑनर्स) में पास की और यूपीएससी की तैयारी में जुट गई. कंचन के पास संसाधनों की कमी रही, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा. कई बार निराश भी हुईं, लेकिन एक बार फिर दोगुने उत्साह के साथ तैयारी में जुट गईं। कंचन के पिता देवी प्रसाद डिमरी दिल्ली में प्राइवेट जाॅब करते हैं। उन्होंने बताया कि बेटी शुरू से ही पढ़ने में होशियार थी। उसे चौथे प्रयास में यह सफलता मिली है।कंचन का बड़ा भाई अजय दिल्ली में ही जॉब करता है और माँ गृहणी हैं।