जंगल के बीच रहस्यमयी खूबसूरत ताल!… वो जब आते हैं, तब बजती हैं घंटियां
देवभूमि का इस ताल का रहस्य अब भी है अनसुलझा… यहां आज भी नहाने आते हैं देवता…. यहां मृत्यु के रहस्य खुले थे
ताल के पास मौजूद है एक ऐसी गुफा… जो भी इस गुफा के भीतर जाता है, वो वापस नहीं आता
उत्तराखंड कई ऐसे रहस्यों से भरा पड़ा है, जिनके बारे में जानकर रौंगटे खड़े हो जाते हैं… एक अलग ही सिहरन पैदा हो जाता है… सत्य और मिथक के भेद को पाटने के लिए भरसक प्रयास किए जाते हैं… लेकिन उसे मिटा कोई नहीं पाता है… ऐसे ही रहस्यों से भरा एक ताल है… जो उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में पड़ता है… हालांकि यहां झीलों की कोई कमी नहीं है… यहां उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कई ऐसी झीलें मौजूद हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं….लेकिन इस ताल या कहे झील के बारे में कुछ ऐसी मान्यता है… जिसे सुनेंगे तो हैरान होंगे… बांज, देवदार और बुरांश के जंगलों के बीच 2453 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है ये ताल… जो अपने आप में अद्भुत है… हर साल यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं…. खासतौर पर सर्दियों के दौरान यहां बर्फबारी होने से ओर भी अधिक मनमोहक दृश्य नजर आता है…. उत्तरकाशी जिले के चौरंगीखाल से महज तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर ये ताल मौजूद है…. यहां तालाब में आसपास के क्षेत्र का प्रतिबिंब ऐसा लगता है मानो किसी ने आईना रखा हो. इस क्षेत्र को लेकर कई मान्यताएं भी प्रचलित हैं… और इस ताल के बारे में भी मान्यताएं बेहद ही खास है…
वैसे मृत्यु जीवन की सबसे कठोरतम सच्चाई है… इस दुनिया में कदम रखने के साथ ही हम मृत्यु के करीब पहुंचने की यात्रा पर निकल जाते हैं, फिर भी मौत से जुड़े ऐसे कई सवाल हैं जो अक्सर हमारे मन में उठते रहे हैं… बालक नचिकेता के मन में भी मृत्यु से जुड़े ऐसे कई सवाल थे, जिनका जवाब पाने के लिए वो खुद यमराज से मिलने चल पड़ा… उत्तरकाशी के पास मौजूद नचिकेता ताल ही वो जगह है, जहां मृत्यु के रहस्य सुलझे थे… खुद यमराज ने धरती पर आकर बालक नचिकेता को मौत का रहस्य बताया था… ताल के पास ही एक गुफा है, मान्यता है कि यमराज इसी रास्ते से धरती पर आए थे और बालक नचिकेता के सवालों के उत्तर दिए थे… शास्त्रों और पुराणों में लिखा गया है कि धरती पर नचिकेता ही एक ऐसे इंसान थे , जिन्हें मृत्यु के रहस्यों का पता चला था।
नचिकेता ताल जितना पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है, उतना ही ईष्ट देवों और नागदेव में आस्था रखने वालों का भी ये केंद्र है…. यहां नागदेवता का पौराणिक मंदिर है… नाग पंचमी के दौरान यहां भव्य अनुष्ठान का आयोजन भी किया जाता है. कहा जाता है कि यहां पहुंचने पर सबसे पहले ताल की परिक्रमा करनी चाहिए…इस ताल को लेकर तरह-तरह की कहानियां मशहूर हैं… कहा जाता है कि इस ताल में देवी-देवता आज भी स्नान करने आते हैं… रात के समय ताल के पास से शंख और घंटों की आवाजें भी सुनाई देती हैं…हालांकि इसकी सत्यता का प्रमाण किसी के पास भी नहीं है… ताल के पास मौजूद गुफा के बारे में कहा जाता है कि जो भी इस गुफा के भीतर जाता है, वो वापस नहीं आता… यही नहीं इस जगह पर तपस्या से मंत्रसिद्धि जल्द मिलने की भी बात कही जाती है… वैसे गढ़वाल क्षेत्र में कई ऐसी रहस्यमयी ताल हैं…इनमें रूपकुंड, ब्रह्म ताल, भेंकलताल, सुपताल समेत अन्य कई ताल हैं… पर्यटन की दृष्टि से इन तालों का जीर्णोद्धार कर इनका संरक्षण करना चाहिए..बांज, देवदार और बुरांश के जंगलों के बीच में नचिकेता ताल तक का ट्रेक अपने आप में एक अलग अहसास दिलाता है… शांति की खोज में आने वाले लोगों के लिए ये किसी स्वर्ग से कम नहीं है…