उत्तराखंड: सविता कंसवाल ने दुनिया में किया नाम रोशन, मरणोपरांत बहादुर बेटी का पुरस्कार लेने पहुंचे पिता

साल 2022 में उत्तरकाशी जिले की एक चोटी फतेह करने गईं सविता कंसवाल की हिमस्खलन की चपेट में आने से जान चली गई थी।

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भारत की महिला पर्वतारोही सविता कंसवाल को मरणोपरांत तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया। Savita Kanswal Uttarkashi यह अवॉर्ड उनके पिता राधेश्याम कंसवाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों ग्रहण किया। जैसे ही सविता का नाम बोला गया। उनके पिता की आंखों में आंसू आ गए। समारोह स्थल पर मौजूद उनके परिवार के सदस्य भी आंसू नहीं रोक पाए। सविता की मां और बहन की आंखें गमगीन थीं। साल 2022 में उत्तरकाशी जिले की एक चोटी फतेह करने गईं सविता कंसवाल की हिमस्खलन की चपेट में आने से जान चली गई थी। उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक स्थित लौंथरू गांव निवासी युवा दिवंगत पर्वतारोही सविता कंसवाल की 2022 में अपने ही जिले की एक चोटी फतेह करते हुए जान चली गई थी। वह 40 लोगों के दल के साथ गईं थीं। इस घटना में कुछ लोगों की जान चली गई थी, जबकि कुछ को रेस्क्यू कर लिया गया था। 2022 में ही सविता ने 12 मई को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया था।

इसके 15 दिन के अंदर ही उन्होंने 28 मई को माउंट मकालू चोटी पर भी सफलता प्राप्त की। सविता ने बेहद ही कम समय में अपना नाम ऊंचा किया था। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें सविता के पिता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अवॉर्ड लेते नजर आ रहे हैं। इस वीडियो में उनके परिवार के सदस्य भावुक दिख रहे हैं। अनुराग ठाकुर ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ‘दिन का सबसे भावुक क्षण। यह बेहद इमोशनल और गर्व से भरा क्षण है, जब श्री राधे श्याम कंसवाल जी ने अपनी दिवंगत बेटी सविता कंसवाल की ओर से लैंड एडवेंचर में तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2022 स्वीकार किया। सविता 16 दिनों के अंदर माउंट एवरेस्ट और माउंट मकालू पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। पर्वतारोहण में एक दशक लंबे करियर के साथ, उन्होंने कर्तव्य की पंक्ति में अदम्य साहस, दृढ़ संकल्प और सहनशक्ति का प्रदर्शन किया और वीरता प्रदर्शित की।