विधि विधान से बंद हुए मदमहेश्वर धाम के कपाट, इस वर्ष रिकाॅर्ड श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

पंचकेदारों में शामिल तृतीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट बुधवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बंद हो गए है। अब शीतकाल के छह माह तक ओंकारेश्वर मंदिर में नित्य पूजाएं संपन्न की जाएंगी।

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तृतीय केदार भगवान मदमहेश्वर Madmaheshwar Dham doors closed के कपाट बुधवार को सुबह 8.30 बजे शुभ लग्न पर विशेष पूजा-अर्चना के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। दानी-दाताओं के सहयोग से मंदिर को पांच क्विंटल फूलों से सजाया गया है। अब शीतकाल के छह माह तक ओंकारेश्वर मंदिर में नित्य पूजाएं संपन्न की जाएंगी। द्वितीय केदार मद्महेश्वर चल उत्सव डोली में विराजमान होकर मंदिर की परिक्रमा और अपने ताम्र पात्रों के निरीक्षण करते हुए शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। बता दे, कपाट बंद होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना हो गई है। विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए आज प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी।

23 नवंबर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से रवाना होगी और रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी। वहां से 24 नवंबर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी से रवाना होकर अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंचेगी। इसके बाद 25 नवंबर को गिरीया गांव से रवाना होकर शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी। 26 नवंबर को भगवान मदमहेश्वर की शीतकालीन पूजा ओकारेश्वर मन्दिर में विधिवत शुरू होगी। इस वर्ष अभी तक यहां रिकाॅर्ड 12,879 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद यह पहला मौका है, जब इतनी अधिक संख्या में शिव भक्त यहां पहुंचे हैं। इस वर्ष 22 मई को द्वितीय केदार की यात्रा शुरू हुई थी। कपाट खुलने के मौके पर भी यहां 350 श्रद्धालुओं ने बाबा मद्महेश्वर के दर्शन किए थे।