उत्तराखंड: समान नागरिक संहिता के लिए बनी कमेटी को सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा, चुनौती देने वाली याचिका खारिज

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SC Hearing on Uniform Civil Code: उत्तराखंड और गुजरात में समान नागरिक संहिता पर अध्ययन के लिए कमेटी बनाए जाने को सुप्रीम कोर्ट ने कानूनन सही कहा है। दोनों राज्य सरकारों के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि कमेटी का गठन संविधान से राज्य सरकारों को मिली शक्ति के दायरे में आता है। सिर्फ कमिटी के गठन को चुनौती नहीं दी जा सकती। याचिकाकर्ता अनूप बरनवाल ने कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड एक राष्ट्रीय मसला है। इस पर राज्यों की तरफ से अध्ययन करवाना जरूरी नहीं है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने याचिका को आधारहीन करार दिया।

उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल 27 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति को राज्य में समान नागरिक संहिता के अध्ययन और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। समित मई 2023 तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है। समित का कार्यकाल छह और महीने के लिए बढ़ाया गया था। उत्तराखंड इस मामले में ऐसा फैसला लेने वाला देश का पहला राज्य है। गुजरात और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में यूसीसी को बड़ा मुद्दा बनाने वाली भाजपा हमेशा से देशभर में इसको लागू करने की बात करती आई है। इन दोनों राज्यों में UCC लागू करने के ऐलान के बाद सरकारी पैनल गठित करने के फैसले के खिलाफ याचिका का खारिज होना भी भाजपा के लिए बड़ी जीत है।