हरिद्वार और गढ़वाल सीट पर तीरथ और निशंक का कटा टिकट, क्या होगा राजनीतिक भविष्य; चर्चाएं तेज

भाजपा ने दो लोकसभा सीटों पर अपने सांसदों के टिकट काटते हुए नए चेहरों पर भरोसा जताया है। बीजेपी ने हरिद्वार से त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, पौड़ी सीट के बीजेपी ने अनिल बलूनी पर दांव खेला है।

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लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी ने दूसरी लिस्ट जारी कर दी है। बीजेपी की दूसरी लिस्ट में हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर सस्पेंस को खत्म कर दिया गया है। Ticket to Anil Baluni and Trivendra Singh Rawat in Lok Sabha elections बीजेपी ने लोकसभा 2024 के लिए हरिद्वार और पौड़ी लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। बीजेपी ने हरिद्वार से त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, पौड़ी सीट से बीजेपी ने अनिल बलूनी पर दांव खेला है। चौंकाने वाली बात यह है कि भाजपा ने दो लोकसभा सीटों पर अपने सांसदों के टिकट काटते हुए नए चेहरों पर भरोसा जताया है। भाजपा ने गढ़वाल सीट से सीटिंग एमपी तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर नए चेहरे के रूप में अनिल बलूनी को प्रत्याशी बनाया है। जबकि हरिद्वार लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को लोकसभा से बाहर करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सांसद बनने का मौका दिया है। ऐसे में अब आशंका जताई जा रही है कि निशंका को जल्द ही प्रदेश में नई जिम्मेदारी से नवाजा जा सकता है।

रमेश पोखरियाल निशंक को लेकर सामान्य रूप से एक चर्चा और भी सामने आ रही है। माना जा रहा है कि महेंद्र भट्ट के राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद अब निशंक को संगठन के अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी दी जा सकती है। रमेश पोखरियाल निशंक का प्रबंध काफी मजबूत माना जाता है और ऐसे में संगठन की कमान उन्हें दिए जाने पर भी विचार हो सकता है। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद रहने के बाद भाजपा के तेजतर्रार नेता निशंक को भाजपा हाईकमान नए प्रयोग के तौर पर हाईलाइट करने की कोशिश कर सकती है। ऐसे में अगर निशंक को उत्तराखंड में संगठन का मुखिया बनाया जाता है तो उत्तराखंड भाजपा को और भी ज्यादा मजबूती मिलेगी। वही, तीरथ सिंह रावत के बयान भी हमेशा उन्हें चर्चाओं में लाते रहे हैं। माना जा रहा है कि उनके विवादित बयानों के कारण भी उनको टिकट तक पहुंचाने के रास्ते में खासी अड़चन आई है। चर्चाएं हैं कि एक तरफ जहां अनिल बलूनी का केंद्रीय हाईकमान के करीब होना तीरथ सिंह रावत के लिए मुश्किल बना तो वहीं तीरथ सिंह रावत के विवादित बयान ने उन्हें इस रस से बाहर कर दिया।