क्यों भिड़ गए विधायक ! Uttarakhand News | Mohd Shahzad MLA Laksar Vs Kishore Upadhyay

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जी हां दोस्तो एक तरफ रजत जयंती पर प्रदेश की उपब्धियों का जिक्र होना था। वहां इस बात की पोल पटट्टी खुल गई और एक दूसरे टांग ऐसे खीचीं गई। जैसे मानो ये ही उत्तराखंड की उपलब्धियां, कैसे एक मैदानी क्षेत्र से आने वाले विधायक ने पहाड़ के विधायकों कर दिया चुप। क्यों मामला अहम है। दरअसल दोस्तो उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन सदन में ‘पलायन’ और ‘पहाड़ बनाम मैदान’ का मुद्दा छाया रहा। बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद ने राज्य में लगातार हो रहे पलायन और क्षेत्रीय असंतुलन पर सवाल उठाए — कहा, जब मंत्री और विधायक ही पहाड़ छोड़ मैदान में आ रहे हैं, तो पलायन कैसे रुकेगा दोस्तो मोहम्मद शहजाद यहीं नही रुके, उन्होंने हरिद्वार को लेकर भी तीखी टिप्पणी की — और कह दिया कि हरिद्वार के दिल में मैदानी और पहाड़ी जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन रोजगार और उद्योग के अभाव में पहाड़ खाली हो रहे हैं। दोस्तो बयान वो सच्चाई छीपी थी, जिसे जानते तो सब थे, लेकिन कहता कौई नहीं था, लेकिन जब पूरा सदन के सत्र में चर्चा इस ज्यदा केंद्रत रही तो तो पोल खुलनी तो तय थी। मोहम्मद शहजाद एक मैदानी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनके इस बयान के दौरान सदन में माहौल गर्म हो गया, जब उन्होंने कहा कि ‘अगर टिहरी विस्थापितों को हरिद्वार में बसाया गया है, तो उन्हें वापस भेज दिया जाए — जिस पर टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय भड़क उठे। अब दोस्तो एक बात तो सच है कि आप पहाड़ी बनने की बाते करते हैं। आप उसके लिए तरह तरह के जतन करते हैं, ताकि आपके के साथ उत्तराखंड की मूल भावना से खेल कर भागने का आरोप ना लगे, इसलिए कई बार अच्छी बात भी कड़वी लग जाती है, यहां कुछ ऐसा दिखाई दिया। हालंकि बीच बीच में विधानसभा अध्यक्ष माहौल को गरमाता देख शांत करती दिखाई दी।

दोस्तो राज्य स्थापना के रजत जयंती सत्र में जनमुद्दों की बहस के बीच पहाड़-मैदान की राजनीति और पलायन का सवाल एक बार फिर केंद्र में आ गया है। प्रदेश में लगातार पलायन की बात हो रही थी, प्रदेश के मंत्री व विधायक ही पहाड़ से उतर कर मैदान में आ रहे हैं तो पलायन कैसे रूकेगा, ये सवाल बड़ा था है। इसका जवाब उस तरह से मिला नहीं हां हंगामा जरूर हुआ। दोस्तो राज्य गठन के शुरुआती दौर में कुछ राजनीतिक दल हरिद्वार को इसमें शामिल नहीं करना चाहते थे, इसका उन्हें शुरुआत में राजनीतिक लाभ भी मिला, लेकिन इसके बाद हरिद्वार ने कई पर्वतीय मूल के नेताओं को जिताया है। साफ है कि हरिद्वार के दिल में मैदानी व पहाड़ी जैसी कोई बात नहीं है। हरिद्वार में लंबे समय से पीसीएस और पीपीएस नहीं निकल रहे हैं। इसका एक कारण मूल निवास प्रमाण पत्र का न मिल पाना भी है। दोस्तो पलायन बात होती तो है लेकिन पहाड़ों में उद्योग नहीं चढ़ पा रहे हैं, ये सच है। वहां के स्थानीय निवासियों को रोजगार देने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बन पा रही है, ये सच है। शिक्षा महंगी हो गई है ये सच है और ये भी सच है कि पहाड़ की बात करने वाले सिर्फ बात ही करते हैं काम नहीं, बीजेपी विधायक आशा नौटियाल की विधानसभा केदारनाथ है और उनके घर से जो शादी का कार्ड आया है, उसमें एड्रेस देहरादून के जोगीवाला का है. इस पर पूरा सदन हंस पड़ा। तो दोस्तो उत्तराखंड राज्य गठन की रजत जयंती पर उत्तराखंड विधानसभा में आयोजित किया जा रहे विशेष सत्र में उत्तराखंड के मूल निवास, डेमोग्राफी चेंज, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर मैदानी क्षेत्रों के विधायकों ने अपनी बात रखी। इस क्रम में लक्सर विधायक मोहम्मद शहजाद ने डेमोग्राफी चेंज और मूल निवास पर अपनी बात रखी। उनके भाषण के दौरान पहाड़ के सभी विधायक असहज नजर आए।