Chamoli News : अब चमोली वालों को मिला सबसे बड़ा तोहफा | Uttarakhand News

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चमोली वालों के लौटेंगे दिन…रास्ते मिलेंगे विभिन्न !
पहाड़ पर ट्रैंकिंग का रास्ता…डीएम ने निकाला रास्ता !

चमोली…उत्तराखंड का वो जिला..जिसकी वादियों आज भी हसीन हैं….ताजी हवाओं का गुजरना…चमोली की चमचमाती रोशनी को और निखाऱ देती है…चमोली की वासियों के लिए भी उनका घर किसी स्वर्ग से कम नहीं है…क्योंकि यहां से जाने का दिल भी उनका नहीं कहता…चमोली को लेकर जितना ज्यादा उनके लगाव हैं उससे कहीं ज्यादा चमोली का भी उनके जन्मभूमि वालों से लगाव है…ब्रिटिश शासक ने देहरादून और सहारनपुर के नीचे इस क्षेत्र को दबाए रखा गया था…लेकिन बाद में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र में एक नया जिला स्थापित किया और इसका नाम पौड़ी रखा था…वक्त और समय बदला गया…आज की चमोली एक तहसील थी… 24 फरवरी, 1960 को तहसील चमोली को एक नया जिला बनाया गया….और यहीं से चमोली का दिन भी और संवरने लगा था…लेकिन बस एक कमी थी..जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं था…वो था पैदल मार्ग…जहां ट्रैकिंग से लेकर बड़े बड़े संतों के कदम गुजरते थे…लेकिन सालों से वो रास्ते खंडहर में थे…लेकिन अब वक्त बदला था तो चमोली का दौर लौटना था…और .यही हुआ…चमोली का दौर जब लौटा तो पुराने जख्म भी मिट गए…क्योंकि रास्ते अब खंडहर नहीं रहने वाले थे…हम बात कर रहे हैं….उत्तराखंड 13 जिलों में से एक जिले की कहानी की…जिसको लोग चमोली कहते हैं….पहाड़ों पर ट्रैकिंग का सिलसिया कोई नया नहीं है…ऊंची ऊंची पहाड़ों के बीच पत्थरों से गुजरकर मंजिल तक पहुंचने की कला बहुत से कम लोगों के भीतर है…रास्ता जितना खतरनाक होता है..उतना ही ट्रैकिंग करने में मजा आता है…क्योंकि ट्रैकिंग लवर किसी भी मुसीबत से पीछे नहीं हटते हैं…अगर एक बार वो निकल गए तो रुकते भी नहीं है…लेकिन इन रास्तों में कभी भी ऐसे हादसे भी हो जाते हैं जिसे सुनकर परेशानी हो जाती है….लेकिन ट्रैकिंग के लिए पौड़ी के डीएम डॉ. आशीष चौहान ने एक नई शुरुआत की है…जिससे ट्रैंकिंग करने वालों को बड़ी राहत मिलने जा रही है…इस राहत के बाद ट्रैंकिंग करने में भी आसानी होगी…साथ ही ट्रैंकिग लवर के ग्राफ भी बढ़ेगा….एक वक्त था जब इस पैदल मार्ग पर खूब चहल-पहल दिखती थी।….साधु-संत ऋषिकेश से पैदल चलकर बदरीनाथ-केदारनाथ की यात्रा करते थे… लेकिन करीब 25 साल पहले इस मार्ग पर पैदल आवाजाही लगभग बंद हो गई…. डीएम पौड़ी डॉ. आशीष चौहान की पहल पर अब इसे ट्रैकिंग रूट के तौर पर विकसित किया जा रहा है…. इस ट्रैकिंग रूट के तहत पहाड़ पर रास्ता बनाया गया है…..जिस पर कई डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी हैं….ट्रैक को 16 किलोमीटर लंबा बनाया गया है….औऱ 8 लाख की लागत से ट्रैक की मरम्मत का काम भी चल रहा है….इस ट्रैक का काम करीब 50 फीसदी से ज्यादा पूरा हो चुका है….

अब चमोली को नहीं भूल पाएंगे लोग

एक दौर में मांझी की कहानी आज भी लोग याद करते हैं…क्योंकि मांझी ने अकेले पहाड़ को काटकर रास्ता जो बना दिया था…ठीक उसी तरह लोग डीएम के काम की तारीफ कर रहे हैं…क्योंकि डीएम की पहल पर ही ये काम हो सका है….खास बात यह है कि..चमोली को उसका गौरव मिला है..
चमोली में अलखनंदा और धौली गंगा नदियों का संगम होता है….समुद्र तल से 6 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित चमोली विष्णु प्रयाग से जोशीमठ सिर्फ 12 किलोमीटर की दूरी पर है….लेकिन ये दूरी अब पास होने वाली है…लोग खुद चमोली की ओर रुख करते आएंगे…जिस ट्रैक का निर्माण किया गया है..उसकी खासियत ऐसी है कि पूछिए ही मत…क्योंकि जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है….एक वाटर फॉल भी यहां पर है….16 किलोमीटर पैदल ट्रैक में से करीब 12 किलोमीटर ट्रैक तैयार हो गया है… ट्रैकिंग रूट में सिमालू, रामपाठी वाटर फॉल, महादेव चट्टी, विजयपुर ढांगूगढ़, बंदरचट्टी और नांद गांव जैसी जगहें शामिल हैं….ट्रैकिंग रूट तक पहुंचने के लिए ऋषिकेश की ओर से नौडखाल तक टैक्सी से आना होगा,….जबकि देवप्रयाग से सिमालू तक ट्रैक्सी से पहुंचना होगा….. यहां से पैदल यात्रा शुरू होगी….. बता दें कि डीएम पौड़ी डॉ. आशीष चौहान ने रूट को ट्रैकिंग के लिए विकसित करने के उद्देश्य से इसी साल के 24 मार्च को निरीक्षण किया था…… उनकी पहल पर ट्रैकिंग रूट की मरम्मत के लिए 8 लाख रुपये स्वीकृत हुए थे….. इस ट्रैकिंग रूट के बनने से प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा….. युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर विकसित होंगे…..