Dhami Cabinet: वन पंचायत संशोधन नियमावली को दी हरी झंडी, वन विभाग का सीधा दखल होगा समाप्त

वन पंचायतों के सशक्तीकरण के दृष्टिगत लंबे समय से कसरत चल रही थी। गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में इसके लिए वन पंचायत नियमावली में संशोधन से संबंधित प्रस्ताव रखा गया, जिसे चर्चा के बाद स्वीकृति दे दी गई।

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गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में वन पंचायत के ब्रिटिश काल के अधिनियमों में संशोधन पर सहमति जता दी गई है। Van Panchayat Amendment Rules जिसमें ब्रिटिश काल के अधिनियमों में बदलाव कर वन पंचायतों को वित्तीय प्रबंधन के अधिकार दिए गए। वर्तमान समय में प्रदेश में 11,217 वन पंचायतें गठित हैं। जिनके पास 4.52 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र है। वन पंचायत नियमावली में किए गए संशोधन के बाद अब हर वन पंचायत 9 सदस्यीय होगी। इन 9 सदस्यों में एक सदस्य ग्राम प्रधान और एक सदस्य जैव विविधता प्रबंधन समिति की ओर से नामित किया जायेगा। जिसके पास जड़ी-बूटी उत्पादन, पौधरोपण, जल संचय, वन अग्नि रोकथाम, इको टूरिज्म में भागीदारी के अधिकार होंगे। जिससे वन पंचायतें स्वतंत्र रूप से अपने उत्पादों की मार्केटिंग कर सकेगी।

इसके अलावा अन्य कई प्रविधान भी किए गए हैं। वन पंचायतों को वन अपराध करने वालों से जुर्माना वसूल करने का अधिकार भी पहली बार धामी सरकार ने दिया है। वन पंचायतों के सशक्तीकरण के दृष्टिगत लंबे समय से कसरत चल रही थी। गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में इसके लिए वन पंचायत नियमावली में संशोधन से संबंधित प्रस्ताव रखा गया, जिसे चर्चा के बाद स्वीकृति दे दी गई। सरकार ने वन पंचायतों में हर्बल मिशन प्रारंभ करने का निश्चय किया है। इसके तहत प्रथम चरण में पांच सौ वन पंचायतों के माध्यम से उनके अधीन वन क्षेत्रों में जड़ी-बूटी और सगंध पादपों की खेती कराने का निर्णय लिया गया है। यह योजना छह सौ करोड़ से अधिक की है। इसे देखते हुए मांग उठ रही थी कि वन पंचायतें यदि जड़ी-बूटी व सगंध पादपों की खेती करती हैं तो उन्हें इसकी निकासी का अधिकार मिलना चाहिए।