Dehradun News: उत्तराखंड में अफसर और नेताओं की विदेश यात्रा कोई नई बात नहीं है। लेकिन इन यात्राओं का क्या फायदा राज्य को होता है, यह सवाल जरूर सार्वजनिक रूप से पूछा जाता रहा है। इस बार ऐसी ही एक विदेश यात्रा को लेकर स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है। हैरत की बात यह है कि यात्रा के 6 महीने बाद भी अब तक संबंधित अधिकारियों की तरफ से कोई रिपोर्ट सबमिट नहीं की गई है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के नाम पर विदेश का दौरा तो कर लिया, लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी इस दौरे के दौरान उन्हें क्या अनुभव हुए इसको लेकर रिपोर्ट शासन में प्रेषित नहीं की गयी। खास बात यह है कि विदेश जाने वाले इन अफसरों में स्वास्थ्य महानिदेशक से लेकर विभाग के कई बड़े अधिकारी शामिल थे।
हैरानी की बात यह है कि एक हफ्ते चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी विदेश पहुंचे, लेकिन यात्रा पूरी करने के बाद किसी ने भी रिपोर्ट शासन को प्रेषित करने की जहमत नहीं उठाई। ऐसे में सचिव स्वास्थ्य आर राजेश कुमार ने अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है। अफसरों से पूछा गया है कि 6 महीने बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट क्यों शासन को प्रेषित नहीं की गई। यही नहीं आदेश में लिखा गया कि जिस तरह से सरकार ने विदेश जाने के लिए अफसरों पर खर्च किया, उसके बाद भी रिपोर्ट सबमिट नहीं हुई। ऐसे में लगता है कि यह शासकीय धन का दुरुपयोग है। इस लिहाज से यह अफसरों का केवल पर्यटन भ्रमण दिखाई देता है।
ये गए ताइवान
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. विनिता शाह, एनएचएम निदेशक डॉ. सरोज नैथानी, एसीएमओ नैनीताल डॉ. तरुण कुमार टम्टा, सीएमओ चमोली डॉ. राजीव शर्मा, सीएमओ ऊधमसिंह नगर डॉ. सुनीता रतूड़ी, जिला क्षय रोग प्रतिरक्षण अधिकारी हरिद्वार डॉ. राजेश कुमार सिंह, स्वास्थ्य महानिदेशक कार्यालय के सहायक निदेशक डॉ. नरेश नपलच्याल, सहायक निदेशक डॉ. तुहिन कुमार, जिला क्षय रोग प्रतिरक्षण अधिकारी देहरादून डॉ. मनोज कुमार वर्मा, एसीएमओ अल्मोड़ा डॉ. दिपांकर, एसीएमओ पौड़ी डॉ. राजेश कुंवर शामिल थे।