डेंगू-चिकनगुनिया से लड़ने के लिए तैयार स्वास्थ्य विभाग, जारी किए महत्वपूर्ण बिंदुओं की गाइडलाइंस

मौसम बदलने के साथ ही उत्तराखंड में एक बार फिर से डेंगू और चिकनगुनिया के मरीज बढ़ने लगे है। जिसको देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी कमर कस ली है।

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उत्तराखंड में गर्मी बढ़ने के साथ ही डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है। वहीं इस बीच हुई बारिश ने हालत थोड़े और खराब कर दिए है। Rprevention Dengu Chikungunya ऐसे हालत में उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया और एहतियातन जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए है। उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार ने सोमवार 29 अप्रैल को डेंगू और चिकनगुनिया से बचाव को लेकर एडवाइजरी जारी की है।हालांकि ये सभी जिलाधिकारी और सीएमओ जारी की गई है, जिसमें तमाम जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए है। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से नगर निगम और सभी विभागीय सचिवों को पत्र भेजा गया है।

गाइडलाइन के महत्वपूर्ण बिंदु

  • डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग पर रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु ब्लाक वार Micro Plan बनाकर कार्यवाहिया करना सुनिश्चित करे।
  • डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग पर नियंत्रण हेतु लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन) एक कारगर व उपयुक्त उपाय है, जिसके लिए नगर निगम/नगर पालिका आशा कार्यकत्री व अन्य विभागों के सहयोग से टीमें बनाकर क्षेत्र में कार्यवाही की जाए।
  • डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग को महामारी का रूप लेने से रोकने के लिए नगर निगम/नगर निकाय द्वारा आवश्यकतानुसार फॉगिग की जाये।
  • जनपदों के चिकित्सालयों (जिला/बेस व मेडिकल कालेज) में भारत सरकार की गाईडलाइनके अनुसार आवश्यक कार्यवाही जैसे पृथक डेंगू आईसोलेशन यार्डतैयार करमच्छरदानी (LLIN) युक्त पर्याप्तबेड की उपलब्धता, Standard Case Management आदि सुनिश्चित करें एवं डेंगू आइसोलेशन वार्ड के लिए नोडल अधिकारी नामित करें।
  • डेंगू एवं चिकनगुनिया रोगियों के समुचित प्रबन्धन हेतु अपने जनपद में चिकित्सा केन्द्रों को पूर्ण रूप से कार्यशील रखें व उनमें पर्याप्त स्वास्थ्य मानव संसाधन जैसे चिकित्सक, नर्स आदि की व्यवस्था सुनिश्चित रखें।
  • डेंगू पीडित गम्भीर रोगियों (DHF/DSS) हेतु Platelets की उपलब्धता सुनिश्चित करें। 12. डेंगू जांच केन्द्रो में समय से आवश्यक सामग्री जैसे ELISA जांच किट व अन्य जांच सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये।
  • डेंगू रोगियों की शुरूआती चरण में पहचान हेतु, फीवर सर्वे किये जायें, लक्षणों के आधार पर डेंगू रोग की संदिग्धता होने पर जांच की जाये।
  • डेंगू एवं चिकनगुनिया रोगी पाये जाने की स्थिति में रोगी के घर के आस-पास लगभग 50 घरों की परिधि में आवश्यक रूप से Space/ Focal Spray कराने के साथ साथ जनपदीय आर०आर०टी० द्वारा क्षेत्र में सघन फीवर सर्विलेन्स एवंलार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन) कराएँ।
  • स्वास्थ्य विभाग व आई०एम०ए० प्रतिनिधियों / निजी चिकित्सालयों/पैथोलोजी लैबों के मध्य समन्वय बैठक (CME Meeting/Workshop) की जाये ।
  • किसी भी प्रकार की आकस्मिक / आपातकालीन आवश्यकता के डेंगू के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया जाये।
  • जनमानस को डेंगू सम्बन्धित जागरूकता एवं समुचित जानकारी प्रदान करने के लिये राज्य मुख्यालय पर Integrated Helpline क्रियाशील है जिसका टोल फ्री नं० 104 है।