रुद्रप्रयाग जिले की केदारनाथ विधानसभा सीट पर चुनाव हमेशा रोचक रहा है। केदारनाथ विधानसभा सीट का नाम केदारनाथ 11वें ज्योतिर्लिंग के तौर पर प्रसिद्ध भगवान केदारनाथ के नाम पर है। Kedarnath By Election 2024 इस सीट का सीमांकन तो कई बार बदला, लेकिन वोटरों के मिजाज में यहां बदलाव देखने को नहीं मिला। बीते दो उपचुनाव में हार का सामना कर चुकी बीजेपी के लिए ये उपचुनाव साख का सवाल बना हुआ है, तो वहीं केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस की जीत पार्टी के लिए संजीवनी का काम करेगी। वर्ष 2000 में उत्तराखंड के गठन के बाद हुए पहले चुनाव 2002 में यह सीट 37 केदारनाथ नाम से जानी गई। 2002 के चुनाव में भाजपा की आशा नौटियाल ने कांग्रेस की शैलारानी रावत को हराया और इस सीट पर पहली बार महिला विधायक चुनी गई। वर्ष 2007 में भी आशा नौटियाल ने चुनाव जीता इस बार उन्होंने कांग्रेस के कुंवर सिंह नेगी को हराया।
2012 में कांग्रेस की शैलारानी रावत ने भाजपा की आशा को हरा दिया। वर्ष 2016 में कांग्रेस में बगावत हुई और शैलारानी रावत ने भाजपा का दामन थाम लिया। 2017 में भाजपा ने आशा नौटियाल का टिकट काटकर शैलारानी रावत को अपना प्रत्याशी बनाया। आशा नौटियाल निर्दलीय लड़ीं और कांग्रेस के मनोज रावत विधायक बने। 2022 में शैलारानी रावत फिर से विधायक चुनी गई। इस बार कांग्रेस के मनोज रावत तीसरे नंबर पर खिसक गए। शैलारानी ने निर्दलीय कुलदीप सिंह रावत को करीब 8 हजार वोटों से हराया। अब दिवंगत विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। इस सीट पर जनता का मिजाज हमेशा चौंकाने वाला रहता है। बीते दो उपचुनाव में मात खा चुकी बीजेपी के लिए केदारनाथ उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस सीट से न सिर्फ पीएम मोदी का सीधा नाता जुड़ा है, बल्कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खुद को फिर से साबित भी करना होगा।