उत्तराखंड: कभी होटल में शेफ की नौकरी करते थे इंदर आर्य, आज उनके गीतों पर थिरक रही पूरी दुनिया

इन दिनों सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करते समय हर दूसरी रील गुलाबी शरारा पर बनी दिख रही है। देश के नामचीन सेलेब्रिटी के साथ साथ विदेशी भी इस गाने की धुन पर अपने कदम थिरकाने से नहीं रोक पा रहा हैं।

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कुमाऊं की वादियों और यहां के लजीज व्यंजनों से हर कोई वाकिफ है लेकिन अब यहां का संगीत भी देश की सरहदों को पार कर सात समंदर पार जा पहुंचा है। Inder Arya Song Gulabi srara इन दिनों सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करते समय हर दूसरी रील गुलाबी शरारा पर बनी दिख रही है। देश के नामचीन सेलेब्रिटी के साथ साथ विदेशी भी इस गाने की धुन पर अपने कदम थिरकाने से नहीं रोक पा रहा हैं। अंतराष्ट्रीय जगत में धूम मचाने वाले खूबसूरत कुमाऊनी गीत गुलाबी शरारा को अपनी मधुर आवाज देने वाले युवा गायक इंदर आर्य कभी शेफ थे। अपने संघर्षपूर्ण जीवन के दिनों को याद करते हुए इंदर कहते हैं कि उन्होंने करीब 15 सालों तक राजस्थान, हरियाणा, पंजाब के कई होटलों में बतौर शेफ काम किया था। हालांकि उन्होंने गीत संगीत के गुण बचपन में ही अपनी मां से सीखे थे, जो बहुत सुरीली आवाज में पहाड़ी गीत गुनगुनाती रहती थी। जिस कारण वह भी बचपन से ही गीत गुनगुनाने लगे थे परन्तु उन्होंने संगीत जगत में कैरियर बनाने के बारे में कभी सोचा भी नहीं था।

अंबाला में काम करने के दौरान सहकर्मियों ने उन्हें गाना गाने के लिए प्रेरित किया। इसी बाद 2018 में उन्होंने गायन के क्षेत्र में कदम रखा। संगीत की दुनिया में पदार्पण के बाद से अब तक पांच साल में इंदर पांच सौ से अधिक गाने गा चुके हैं। उनके 20 गानों को करीब दो करोड़ और लगभग 50 गानों को 10-10 लाख व्यूज मिल चुके हैं। अब तक वह सौ से अधिक लाइव शो कर चुके हैं। इनमें दो शो विदेश में भी हुए हैं। इससे पहले उनके गीत तेरो लहंगा… ने भी खूब धमाल मचाया था। इसके अलावा हे मधू, हिट मधुली, हफ्ते में… आदि गाने भी हर कोई गुनगुनाता नजर आता है। इंदर पहाड़ से लगातार हो रहे पलायन पर चिंतित हैं। कहते हैं कि पहाड़ में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। उन्हें खुद अपने गांव पहुंचने के लिए पैदल चलना पड़ता है। पहाड़ में मूलभूत सुविधाओं के अलावा रोजगार के अवसर मिले तो उन जैसे युवाओं को शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। कहते हैं कि भविष्य में मौका मिला तो वह पहाड़ की पीड़ा को दिखाने वाले गीत लिखेंगे।