Uttrakhand News: कोरोना से भी ज्यादा पड़ रही लंपी वायरस की मार, न एम्बुलेंस है और न ही डॉक्टर

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पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ में इन दिनों लंपि वायरस से सैकड़ों जानवर ग्रसित है और विभाग द्वारा लगातार पशुओं के टीकाकरण की कार्रवाई चल रही है। लेकिन इन सब में जो बात निकलकर सामने आ रही है वो है पशुपालन विभाग में स्टाफ की भारी कमी, यहां पशु चिकित्सक के साथ ही पशुधन प्रसार अधिकारी के पदों पर तमाम रिक्तियां चल रही है। इससे पिथौरागढ़ के पशुपालक और विभाग दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में डेढ़ लाख से ज्यादा पालतू गाय है। ऐसे में गम्भीर हालत में गायों को अस्पताल ले जाने के लिए भी पशुओं की एम्बुलेंस का भी जिले के पशुपालकों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। पशुपालन विभाग ने घर घर जाकर पशुओं का इलाज करने की व्यवस्था तो की हुई है लेकिन बीमार पशुओं की संख्या अधिक होने और स्टाफ कम होने की वजह से सभी को इलाज समय से नहीं मिल पाता है।

मिली जानकारी के अनुसार, अभी तक 138 पालतू गायों की मौत हो चुकी है। इसमें सबसे ज्यादा पिथौरागढ़ सदर और मूनाकोट ब्लॉक है जहां पशुओं के इलाज के लिए एम्बुलेंस भी नहीं है। जिले में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी योगश भारद्वाज ने जानकारी देते हुए बताया कि जनपद में लंपी बीमारी को नियंत्रण में लाने की हर कोशिश की जा रही है। जिले में आठ विकास खंडों में से मूनाकोट और बिण ब्लाक में एम्बुलेंस नहीं है। विभाग के पास स्टाफ की कमी के बावजूद भी वह स्थिति को संभाले हुए हैं। बता दे, पिथौरागढ़ जिले में अधिकतर ग्रामीण इलाका है, जहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपालन है। ऐसे में लंपि वायरस से तमाम पशु ग्रसित हो गए हैं और 138 पशुओं की मौत भी जिले में हो चुकी है। जिले में 53 पशुओं की हालत गम्भीर बनी हुई है और 130 पशुओं में इस बीमारी के लक्षण है।