जोशीमठ का 35 प्रतिशत हिस्सा हाई रिस्क जोन, नगरवासियों ने बाहर बसने से किया साफ इनकार

जोशीमठ भूधंसाव को लेकर सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों ने जो अध्ययन किया है, उसकी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। रिपोर्ट में 1200 घरों को हाई रिस्क जोन में बताया गया है।

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पिछले 1 वर्ष से दरारों से जूझ रहे उत्तराखंड के जोशीमठ में लोगों की टेंशन एक बार फिर बढ़ गई है। Joshimath Land Sinking update बीती 20 जनवरी को आपदा प्रबंधन के सचिव रणजीत सिन्हा ने जोशीमठ पहुंचकर यहां के जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों के साथ एक जनसुनवाई की। इस दौरान उन्होंने बीते दिनों हुए जोशीमठ के भूगर्भीय सर्वेक्षण की कुछ रिपोर्ट लोगों के सामने रखी। ये बताया कि जोशीमठ का 35 प्रतिशत हिस्सा हाई रिस्क जोन में शामिल है। इस हिस्से को खाली करना जरूरी है। इस हिस्से को खाली करना जरूरी है। इस 35 प्रतिशत हिस्से में नगर के सभी 9 वार्डों में से कुछ जगहों को चिह्नित किया गया है। स्थानीय लोगों का मानना है कि वहां विस्थापित होकर उनका जीवन संभव नहीं हो सकेगा, क्योंकि उन्हें खाली रहने के लिए मकान नहीं बल्कि खाने कमाने के लिए रोजगार की भी आवश्यकता है। सभी के रोजगार वर्षों से जोशीमठ में संचालित हो रहे हैं तो उनके लिए जोशीमठ छोड़ना आसान नहीं है।

बता दें कि जोशीमठ में जमीन के अंदर आई दरारों के कारण लगभग 800 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। इसके साथ ही 190 परिवारों को राज्य सरकार की तरफ से मुआवजे के तौर पर 43 करोड़ रुपए दिए गए हैं। जोशीमठ के अलग-अलग इलाकों में सरकार ने अलग-अलग एजेंसियों से कुछ सर्वे कराया है, जिसमें से एक जियो टेक्निकल सर्वे है, जिसकी रिपोर्ट आनी अभी बाकी है। लेकिन प्राथमिक रिपोर्ट में सामने आया है कि सुनील वार्ड में काफी गहराई में भी कोई चट्टान नहीं मिली है। वहीं, मनोहर बाग और सिंहधार वार्ड में ड्रिल करने पर चट्टान मिली है। इसी तरह मारवाड़ी वार्ड में जमीन के करीब 48 मीटर नीचे चट्टान मिली है। इन सभी जगहों के सैंपल इकट्ठे किए जा रहे हैं, जिन्हें लैब भेजा जाएगा। जियो टेक्निकल सर्वे नीदरलैंड की फुग्रो कंपनी और दिल्ली खन्ना एसोसिएशन कंपनी कर रही है। हालांकि अभीतक जियो टेक्निकल सर्वे की फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है।