उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल के रैट माइनर्स हीरो के घर पर दिल्ली में चला बुलडोजर, सच पता चलते ही DDA ने उठाया यह कदम

दो माह पहले उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने वाले रैट माइनर्स अब अपने घर को बचाने के लिए गुहार लगा रहे हैं। सिल्क्यारा टनल में हीरो बने रैट माइनर्स एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं।

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दिल्ली के खजूरी खास इलाके में अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत डीडीए ने जिन-जिन अवैध घरों पर बुलडोजर चलाया, उसमें से एक घर उस शख्स का भी था, जिसने उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग हादसे में 41 मजदूरों की जान बचाने में मदद की थी। Bulldozer Action on rat-hole miners Vakeel Hasan House रैट होल माइनर वकील हसन का कहना है कि डीडीए प्रशासन ने बिना किसी नोटिस के उनके घर को ढहा दिया। उनका कहना है कि मैंने 2013 में ये मकान खरीदा था। मकान की रजिस्ट्री 1987 की है। लेकिन फिर भी प्रशासन ने उनका मकान ढहा दिया। रैट माइनर्स अब अपने घर को बचाने के लिए गुहार लगा रहे हैं। जिसको लेकर अब सोशल मीडिया में भी कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। डीडीए के बुलडोजर कार्रवाई में घर गिरने के बाद वकील हसन ने कहा, “पूरी दुनिया हमारी प्रशंसा कर रही है। उत्तराखंड सरकार ने हमें 50,000 रुपये दिए थे, लेकिन आज के समय में यह कुछ भी नहीं है। हम पर इतना कर्ज है कि हमें अपने बच्चों का पेट भरना है।”

रैट माइनर वकील हसन के घर के बुलडोजर एक्शन पर डीडीए ने कहा कि उसके अधिकारियों को नहीं पता था कि रैट माइनर वकील हसन ने सिल्क्यारा टनल में मजदूरों को बचाया था। ये बात जानकारी में आने के बाद डीडीए ने उनके लिए वैकल्पिक शेल्टर की व्यवस्था करने के लिए कहा था, जिसे लेने से रैट माइनर वकील हसन ने इनकार कर दिया। वकील हसन ने बताया कि डीडीए के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें वसंत कुंज में एक गेस्ट हाउस में अस्थायी रूप से ठहराया जाएगा और जल्द ही गोविंदपुरी इलाके में एक घर प्रदान किया जाएगा, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। हसन ने कहा उसी स्थान पर या उसी आसपास किसी भी स्थान पर एक स्थायी घर की मांग की। हसन ने कहा कि वह चाहते हैं कि अधिकारी लिखित रूप में अपना प्रस्ताव दें। उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में दिवाली की सुबह 41 मजूदर अंदर फंस गए थे।जिन्हें बाहर निकालने के लिए उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश से कई एजेंसियां जुटी रही। लेकिन दिल्ली से आए रैट माइनर्स ने ही आखिर में पूराआपरेशन संभाला और 17 दिन बाद अंदर फंसे मजूदरों तक सबसे पहले पहुंचे।