उत्तराखंड में निकाय चुनाव की तैयारियों के बीच राज्य में अतिक्रमण के मुद्दे पर सियासत गरमा रही है। देहरादून में रिस्पना के किनारे बेस 27 बस्तियों को एनजीटी ने अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए निर्देश दिए है। Bulldozer On Illegal Settlements राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि देहरादून में रिस्पना नदी के बाढ़ क्षेत्र में स्थित अवैध बस्तियों के घरों को नष्ट किया जाए। इसके अलावा, एनजीटी ने उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पारित अतिक्रमण हटाने पर रोक से संबंधित कानून को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत अमान्य घोषित कर दिया है। इस वर्ष की शुरुआत में एनजीटी के निर्देश पर नगर निगम और एमडीडीए ने रिस्पना नदी के किनारे 27 बस्तियों में अवैध निर्माणों की पहचान की थी।
इनमें से 89 मकान नगर निगम की भूमि पर, 12 मसूरी नगर पालिका की भूमि पर, और 415 एमडीडीए की भूमि पर स्थित थे। इसके अतिरिक्त, नौ अवैध मकान राज्य सरकार की जमीन पर भी बने हुए थे। जिनमें से कुछ मकानों को पहले ही ध्वस्त कर दिया गया था, लेकिन विरोध और कानूनी जटिलताओं के चलते कई मकानों पर कार्रवाई नहीं हो पाई थी। अब एनजीटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि 13 फरवरी तक अतिक्रमण की स्थिति पर की गई कार्रवाई और प्रदूषण नियंत्रण के उपायों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। एनजीटी ने यह भी माना कि रिस्पना नदी के किनारे पूर्व में जहां अवैध निर्माण चिन्हित किया गया था, वहां पर चिन्हित सभी मकान ध्वस्त नहीं किए गए। ऐसे में फिर से फ्लड जोन में बने मकानों को चिन्हित करते हुए कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। शासन स्तर से जल्द एमडीडीए, नगर निगम एवं मसूरी पालिका को गाइडलाइन जारी हो सकती है।