त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिल्ली से बुलावा, क्या है मुलाक़ात के मायने, विधानसभा भर्ती मामले में मुखर रहें त्रिवेंद्र

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देहरादून: उत्तराखंड की सियासत में 2014 से लगातार चुनावी शिकस्त खाती आ रही कांग्रेस भाजपा के लिए अब उतना बड़ा खतरा नहीं जितना किसी भी भाजपाई मुख्यमंत्री के लिए ‘अपनों’से खतरा बना रहता है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पेपर लीक कांड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के त्वरित एक्शन और एसटीएफ जांच के फैसले के साथ खड़ी नजर आई तब टीएसआर पार्टी लाइन से दूर जाकर बयानबाजी करते नजर न आते। फिर विधानसभा बैकडोर भर्ती पर बवाल मचा तो त्रिवेंद्र सिंह रावत की बयानबाजी ऐसे ही चलती रही।

UKSSSC पेपर लीक कांड में जिस हाकम सिंह को मास्टरमाइंड कहा गया उसके साथ फोटो तो तमाम भाजपाई नेताओं के दिखे लेकिन जिस गर्मजोशी से त्रिवेंद्र सिंह रावत हाकम सिंह रावत को गले लगाए नजर आए उसने कई सवाल खड़े किए। फिर टीएसआर राज में हाकम के गांव तक सरकारी हेलिकॉप्टर उतारने का कारनामा भी सामने आ गया लेकिन उल्टे टीएसआर ने हाकम को भाजपा नेता बता अपना पिंड छुड़ाना चाहा और सीबीआई जांच को बेहतर विकल्प बता डाला। उससे पहले आयोग को भंग करने का उनका बयान भी आ ही चुका था।

जाहिर है ऐसे हालात जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में चुनाव हैं और न केवल नड्डा बल्कि पार्टी की साख दांव पर है, तब पड़ोसी पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में UKSSSC पेपर लीक कांड के बहाने TSR के पार्टी लाइन से बेपटरी बयान परेशानी का सबब न बन रहे हों! दरअसल भाजपा नेतृत्व मानता है कि हिमाचल और उत्तराखंड दोनों पहाड़ी राज्य हैं और सियासत की बंयार एक-दूसरे के चुनावी नतीजों पर असर डालती है।

ऐसे में संभव है पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा बुधवार यानी आज त्रिवेंद्र सिंह रावत को बेवजह बयानबाजी से बचने का संदेश दें! यह भी संभव है कि इस मौके पर टीएसआर भी अपने दर्द का कुछ गुबार निकाल सकें। लेकिन पार्टी जानकार अधिक संभावना इस बात की मान रहे कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को कुछ दिन चुप बैठने को कहा जाए और उनको भविष्य में ‘अच्छे दिन’ आने का नया आश्वासन थमाया जाए।