उत्तराखंड: मुनाफा कमा रहे पर्वतीय क्षेत्रों के सहकारी बैंक, मैदानी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन को बनानी होगी रणनीति

पहाड़ी जिलों में स्थित सहकारी बैंकों ने शानदार प्रदर्शन कर उल्लेखनीय लाभ अर्जित किया है। दूसरी ओर, मैदानी जिलों में सहकारी बैंकों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा, जबकि इन क्षेत्रों में बाजार की संभावनाएं और संसाधन पहाड़ी क्षेत्रों के मुकाबले कहीं अधिक हैं।

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उत्तराखण्ड के सहकारिता विभाग के अंतर्गत जिला सहकारी बैंकों ने हाल के समय में अपनी कार्यकुशलता और नीतिगत दृष्टिकोण से सबको प्रभावित किया है। खास तौर पर राज्य के पहाड़ी जिलों में स्थित सहकारी बैंकों ने शानदार प्रदर्शन कर उल्लेखनीय लाभ अर्जित किया है। Co-operative Department of Uttarakhand दूसरी ओर, मैदानी जिलों में सहकारी बैंकों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा, जबकि इन क्षेत्रों में बाजार की संभावनाएं और संसाधन पहाड़ी क्षेत्रों के मुकाबले कहीं अधिक हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में बैंको के बेहतर प्रदर्शन का श्रेय सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को जाता है, जिनकी दूरदर्शी नीतियों के चलते सहकारिता विभाग नये-नये आयाम गढ़ रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारी बैंकों की सफलता का एक बेहतरीन उदाहरण टिहरी गढ़वाल जिला सहकारी बैंक लिमिटेड है। इस बैंक के पूर्व चेयरमैन सुभाष रमोला के कुशल नेतृत्व में यह बैंक राज्य के 11 जिला सहकारी बैंकों की तुलना में न केवल आगे बढ़ा, बल्कि एक मिसाल भी कायम की।

सुभाष रमोला के कार्यकाल में बैंक ने किसानों को बड़े पैमाने पर ऋण वितरित किए, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली। खास बात यह रही कि इन ऋणों की वसूली भी समय पर सुनिश्चित की गई, जिससे बैंक की वित्तीय स्थिति और सुदृढ़ हुई। उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने हाल ही में राज्य के सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड के 10 जिलों के जिला सहकारी बैंकों और राज्य सहकारी बैंक सहित कुल 11 बैंकों का संयुक्त लाभ 250 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि राज्य के सहकारी बैंक न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा देने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। वर्तमान में इन बैंकों की कुल 280 शाखाएं लाभ कमा रही हैं, हालांकि 49 शाखाएं अभी भी घाटे में हैं। मंत्री ने आश्वासन दिया कि अगले दो वर्षों के भीतर इन घाटे वाली शाखाओं को भी लाभ की स्थिति में लाया जाएगा।