धर्मनगरी हरिद्वार में दिलचस्प होगा मुकाबला, तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों का राजनीतिक भविष्य होगा तय

हरिद्वार लोस सीट पर तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है, क्योंकि कोई चुनावी मैदान में खुद डटे हैं तो किसी के कंधों पर चुनाव जिताने की जिम्मेदारी है।

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उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर कल 19 अप्रैल को मतदान होना है। हरिद्वार लोकसभा सीट पर दमदार मुकाबला देखने को मिल रहा है। Haridwar Lok Sabha Seat लोकतंत्र के महापर्व लोस चुनाव में प्रत्याशी तो जीत के लिए जीजान से लगे ही हैं, लेकिन हरिद्वार लोस सीट पर तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है, क्योंकि कोई चुनावी मैदान में खुद डटे हैं तो किसी के कंधों पर चुनाव जिताने की जिम्मेदारी है। इसलिए हरिद्वार का चुनावी समर तीनों पूर्व सीएम का राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा। बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतार रखा है तो वहीं उन्हें जिताने की जिम्मेदारी प्रदेश के एक और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के कंधों पर है। निशंक प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहने के साथ-साथ वर्तमान में हरिद्वार सांसद भी हैं।

दूसरी तरफ बात की जाए तो उत्तराखंड के ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का राजनीतिक भविष्य भी इसी सीट से तय होगा। दरअसल, हरीश रावत पर अपने बेटे और कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र रावत को जिताने की जिम्मेदारी है। क्योंकि हरीश रावत ही अपने बेटे वीरेंद्र रावत को कांग्रेस हाईकमान से टिकट दिलाकर लाए थे। हरीश रावत पर हरिद्वार लोकसभा सीट को जिताने का कितना दबाव है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस चुनाव में हरीश रावत चुनाव प्रचार के लिए हरिद्वार लोकसभा सीट से बाहर तक नहीं निकले हैं। ऐसे में तीनों सीएम जीतने और जिताने के लिए चुनाव में खूब पसीना बहा रहे हैं। हालांकि, अब देखना होगा कि कौन से पूर्व सीएम की किस्मत इस लोस चुनाव में खुलती है।