उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने के बाद कई नियम कानूनों में बदलाव हो गए है। प्रदेश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दी जाएगी और इसके साथ ही यह भारत का पहला राज्य बन गया है। Uniform Civil Code Uttarakhand यूसीसी के लागू होते ही बहुत सारी चीजें बदल गई है। UCC लागू होने के बाद शादी का पंजीकरण अब विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर अनिवार्य होगा। 26 मार्च 2010 से लेकर अब तक हुए विवाह का पंजीकरण अगले 6 महीने में कराना होगा। तलाक या विवाह शून्यता के मामलों में संबंधित अदालत केस नंबर और अंतिम आदेश के साथ दस्तावेज़ प्रस्तुत किए जाएंगे। लिव-इन रिलेशनशिप को इसके शुरू होने के एक महीने के भीतर पंजीकरण करवाना होगा। यदि लिव-इन के दौरान महिला गर्भवती हो जाती है, तो रजिस्ट्रार को सूचित करना अनिवार्य होगा। UCC के तहत अब वसीयत बनाने की प्रक्रिया को भी सरल किया गया है। नागरिक अब पोर्टल पर फॉर्म भरकर हस्तलिखित वसीयत अपलोड कर सकते हैं या फिर तीन मिनट की वीडियो में अपनी वसीयत को रिकॉर्ड करके अपलोड कर सकते हैं। यह सुविधा उत्तराधिकार की प्रक्रिया को भी सरल और पारदर्शी बनाएगी।
उत्तराखंड यूसीसी नियमावली के मुख्य बिंदु
- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर लगेगी रोक
- बहुविवाह पूर्ण तरीक़े से बैन केवल एक शादी होगी मान्य
- लिव इन रिलेशनशिप के लिए डिक्लेरेशन होगा जरूरी
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों की पूरी जानकारी देनी होगी
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पुलिस के पास रजिस्ट्रेशन करना होगा
- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर मिलेगा हिस्सा
- एडॉप्शन सभी के लिए होगा मान्य
- मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा गोद लेने का अधिकार
- गोद लेने की प्रक्रिया का होगा सरलीकरण
- मुस्लिम समुदाय में होने वाले हलाला और इद्दत पर रोक लगेगी
- शादी के बाद रजिस्ट्रेशन होगा अनिवार्य
- हर शादी का गांव में ही रजिस्ट्रेशन होगा
- बिना रजिस्ट्रेशन की शादी अमान्य मानी जाएगी
- शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा
- पति और पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे
- तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा
- नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी
- अगर पत्नी पुनर्विवाह करती है, तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंनशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा
- पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी
- गार्जियनशिप, बच्चे के अनाथ होने की सूरत में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा
- पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है
- यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का भी हो सकता है प्रावधान
- जनसंख्या नियंत्रण के लिए बच्चों की सीमा तय की जा सकती है