चमोली माणा एवलॉन्च: बेहद भयावह था बर्फ का बवंडर, प्रभावितों की आपबीती सुन सिहर जाएंगे

श्रमिक लक्ष्मण सिंह ने बताया कि बर्फ का बवंडर बेहद भयावह था। वह खौफनाक मंजर अभी तक आंखों के सामने तैर रहा है। कड़ाके की ठंड में मानो शरीर साथ छोड़ रहा था। उस समय ऐसा लगा कि बच नहीं पाएंगे, लेकिन अब हम सुरक्षित हैं।

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चमोली माणा एवलॉन्च रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया है। रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद 46 मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया है। 8 मजदूरों की डेड बॉडी बर्फ से निकाली गई है। रेस्क्यू कर निकाले गये 44 मजदूरों का उपचार ज्योतिर्मठ स्थिति सेना के अस्पताल में चल रहा है। Chamoli Mana Glacier Accident 2 मजदूरों को ऋषिकेश एम्स रेफर किया गया है। सभी 44 श्रमिक खतरे से बाहर हैं। बर्फ के बवंडर की चपेट में आने से लापता इन मजदूरों को जब सेना और आईटीबीपी के हिमवीरों ने सुरक्षित निकाला तो उन्होंने जवानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आप हमारे लिए बदरी विशाल के दूत बनकर आए हो। जब हमने जिंदगी की आस छोड़ दी थी, तभी हमें नया जीवन मिल गया। सेना अस्पताल ज्योतिर्मठ में भर्ती नारायणबगड़ के श्रमिक अनिल ने बताया कि अत्यधिक ठंड के चलते वे इन दिनों सुबह नौ बजे उठ रहे थे। शुक्रवार सुबह छह बजे भूमि में तेज कंपन महसूस हुई और हमारे कंटेनर नीचे की ओर तेजी से खिसकने लगे।

हम समझ नहीं पाए, यह क्या हो रहा है, जब कंटेनरों की खिड़की से बाहर देखा तो चारों तरफ बर्फ के ढेर नजर आए। कंटेनरों की छत भी धीरे-धीरे नीचे की ओर झुक रही थी। मदद के लिए सभी लोग चिल्लाने लगे। अनिल ने बताया कि कुछ लोग समय रहते कंटेनरों से बाहर भाग गए। कई लोग कंटेनर में ही फंसे रहे। कुछ देर बाद सेना के जवान आते दिखाई दिए तो ऐसा लगा मानों वह बदरी विशाल के देवदूत हैं। बर्फ के बवंडर ने जिस तरह से हमें अपने आगोश में ले लिया तो हमें जीवित रहने की उम्मीद नहीं थी। लेकिन हम सुरक्षित ज्योतिर्मठ पहुंच गए हैं। पहले भी हिमखंड तेज आवाज के साथ टूटा, लेकिन तब नुकसान नहीं हुआ। जब तक यहां रह रहे लोग कुछ समझ पाते तब तक दोबारा हिमखंड टूटा ओर तबाही का मंजर सामने आया। हम यह समझ चुके थे कि दुर्घटना के शिकार हो गए हैं, लेकिन तभी सेना व आईटीबीपी के जवानों ने आवाजें मारकर उन्हें हौंसला बनाए रखने के लिए कहा।